A Secret Weapon For Shodashi
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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥
The Mahavidya Shodashi Mantra supports psychological steadiness, selling therapeutic from previous traumas and interior peace. By chanting this mantra, devotees find release from negative emotions, producing a well balanced and resilient way of thinking that helps them experience life’s difficulties gracefully.
Her third eye signifies bigger perception, helping devotees see over and above physical appearances on the essence of actuality. As Tripura Sundari, she embodies really like, compassion, and the Pleasure of existence, encouraging devotees to embrace life with open hearts and minds.
The underground cavern contains a dome superior over, and scarcely obvious. Voices echo wonderfully off the ancient stone in the partitions. Devi sits in the pool of holy spring h2o having a Cover over the top. A pujari guides devotees as a result of the whole process of having to pay homage and acquiring darshan at this most sacred of tantric peethams.
This mantra is undoubtedly an invocation to Tripura Sundari, the deity staying tackled With this mantra. It's really a request for her to fulfill all auspicious needs and bestow blessings on the practitioner.
यह उपरोक्त कथा केवल एक कथा ही नहीं है, जीवन का श्रेष्ठतम सत्य है, क्योंकि जिस व्यक्ति पर षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी की कृपा हो जाती है, जो व्यक्ति जीवन में पूर्ण सिद्धि प्राप्त करने में समर्थ हो जाता है, क्योंकि यह शक्ति शिव की शक्ति है, यह शक्ति इच्छा, ज्ञान, क्रिया — तीनों स्वरूपों को पूर्णत: प्रदान करने वाली है।
हस्ताग्रैः शङ्खचक्राद्यखिलजनपरित्राणदक्षायुधानां
सा नित्यं नादरूपा त्रिभुवनजननी मोदमाविष्करोतु ॥२॥
कामाकर्षिणी कादिभिः स्वर-दले गुप्ताभिधाभिः सदा ।
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥
लक्ष्मी-वाग-गजादिभिः कर-लसत्-पाशासि-घण्टादिभिः
संकष्टहर या संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत विधि – sankashti ganesh chaturthi
तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो Shodashi व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।
यदक्षरशशिज्योत्स्नामण्डितं भुवनत्रयम् ।